MARATHI
नागपंचमी सण श्रावण शुद्ध पंचमीला साजरा केला जातो.
श्रावण महिन्यातील पहिला महत्त्वाचा सण नागपंचमी हा आहे. या दिवशी घरोघरी नागाची पूजा करून नागदेवतेला प्रसन्न करण्याची पद्धत आहे. हा सण फार जुन्या काळापासून पाळला जात असावा.
कालिया नागाचा पराभव करून यमुना नदीच्या पात्रातून भगवान श्रीकृष्ण सुरक्षित वर आले तो दिवस श्रावण शुद्ध पंचमीचा होता. तेव्हांपासून नागपूजा प्रचारात आली असे म्हणतात. या दिवशी शेतकरी आपल्या शेतात नांगरत नाही. कोणीही खणत नाही, घरीपण कोणीही भाज्या चिरायच्या नाही, तवा वापरायचा नाही, कुटायचे नाही. असे काही नियम पाळतात. भाविक श्रद्धाळू माणसे नागदेवतेची पूजा करून तिला दूध-लाह्यांचा व गव्हाच्या खिरीचा नैवेद्य दाखवतात व आपले संरक्षण कर अशी प्रार्थना करतात.
HINDI
नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है । इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुस्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
विधि
प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएँ।
पश्चात स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएँ। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है।
इसके बाद दीवाल पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवाल पर घर जैसा बनाते हैं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाते हैं।
कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पाँच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं।
सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ा आते हैं।
और फिर दीवाल पर बनाए गए नागदेवता की दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाते हैं।
पश्चात आरती कर कथा श्रवण करना चाहिए।
पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।
नागपंचमी के दिन
इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्पविष दूर होता है।
English
The main reason of celebrating this day must be that snakes are a great threat to mankind during these months. The monsoon season is at its peak during this period (July – August) and snakes move out of their burrows, which are filled with water, and occupy spaces frequented by human beings and may harm them. So it is widely believed that Nagara Panchami is observed to please the Nagas and avoid snake bites during this season.
SPECIAL PUJAS
Prayers are offered at Naga temples, sacred places with idols of Nagas and at anthills. Almost all villages in India have a sacred place for snakes with a small grove and numerous idols of the Nagas. Prayers are also offered at the shrines of Shiva. In West Bengal and Orissa, Mansa, the queen of serpents, is worshipped on this day.
Milk, betel leaf, betel nut, tender coconuts, turmeric powder, puffed paddy, jaggery, flower bunches and tender leaves of palm and areca trees are offered. In some regions, people feed snakes with milk. In most places snake charmers arrive with snakes on the day. Certain villages in Karnataka are known to feed milk to poisonous snake.
VRATHA
In some places, people fast from sunrise to sunset. It is a partial fast and they eat food without salt. Deep-fried things are avoided on the day. Some people only consume food after sunset. Some Hindu communities in South India have an elaborate oil bath on the day. There is a belief that unmarried women who undertake Naga Panchami Vrat and do the puja to Nagas will get good husbands.
Nag Panchami sms , greetings (Marathi, Hindi, English)
Nag Panchami funny jokes
नागपंचमी सण श्रावण शुद्ध पंचमीला साजरा केला जातो.
श्रावण महिन्यातील पहिला महत्त्वाचा सण नागपंचमी हा आहे. या दिवशी घरोघरी नागाची पूजा करून नागदेवतेला प्रसन्न करण्याची पद्धत आहे. हा सण फार जुन्या काळापासून पाळला जात असावा.
कालिया नागाचा पराभव करून यमुना नदीच्या पात्रातून भगवान श्रीकृष्ण सुरक्षित वर आले तो दिवस श्रावण शुद्ध पंचमीचा होता. तेव्हांपासून नागपूजा प्रचारात आली असे म्हणतात. या दिवशी शेतकरी आपल्या शेतात नांगरत नाही. कोणीही खणत नाही, घरीपण कोणीही भाज्या चिरायच्या नाही, तवा वापरायचा नाही, कुटायचे नाही. असे काही नियम पाळतात. भाविक श्रद्धाळू माणसे नागदेवतेची पूजा करून तिला दूध-लाह्यांचा व गव्हाच्या खिरीचा नैवेद्य दाखवतात व आपले संरक्षण कर अशी प्रार्थना करतात.
HINDI
नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है । इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुस्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
विधि
प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएँ।
पश्चात स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएँ। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है।
इसके बाद दीवाल पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवाल पर घर जैसा बनाते हैं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाते हैं।
कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पाँच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं।
सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ा आते हैं।
और फिर दीवाल पर बनाए गए नागदेवता की दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाते हैं।
पश्चात आरती कर कथा श्रवण करना चाहिए।
पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है।
नागपंचमी के दिन
इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्पविष दूर होता है।
English
The main reason of celebrating this day must be that snakes are a great threat to mankind during these months. The monsoon season is at its peak during this period (July – August) and snakes move out of their burrows, which are filled with water, and occupy spaces frequented by human beings and may harm them. So it is widely believed that Nagara Panchami is observed to please the Nagas and avoid snake bites during this season.
SPECIAL PUJAS
Prayers are offered at Naga temples, sacred places with idols of Nagas and at anthills. Almost all villages in India have a sacred place for snakes with a small grove and numerous idols of the Nagas. Prayers are also offered at the shrines of Shiva. In West Bengal and Orissa, Mansa, the queen of serpents, is worshipped on this day.
Milk, betel leaf, betel nut, tender coconuts, turmeric powder, puffed paddy, jaggery, flower bunches and tender leaves of palm and areca trees are offered. In some regions, people feed snakes with milk. In most places snake charmers arrive with snakes on the day. Certain villages in Karnataka are known to feed milk to poisonous snake.
VRATHA
In some places, people fast from sunrise to sunset. It is a partial fast and they eat food without salt. Deep-fried things are avoided on the day. Some people only consume food after sunset. Some Hindu communities in South India have an elaborate oil bath on the day. There is a belief that unmarried women who undertake Naga Panchami Vrat and do the puja to Nagas will get good husbands.
Nag Panchami sms , greetings (Marathi, Hindi, English)
Nag Panchami funny jokes